इसी शुक्रवार को कॉमेडी फिल्म 'बोल बच्चन' रिलीज हो रही है। यह एक रोमांस कॉमेडी है, जिसमें अजय देवगन पहलवान बने हैं और अभिषेक बच्चन का इसमें डबल रोल है। बॉलीवुड के इतिहास में शुरू से कॉमेडी फिल्में बनती रही हैं।
जरा याद कीजिए ‘पड़ोसन’ फिल्म का वह सीन जिसमें गुरु उर्फ किशोर कुमार सुनील दत्त को गाना सिखाने की कोशिश करते हैं। या ‘प्यार किए जा’ का वह क्लासिकल सीन जिसमें महमूद ओमप्रकाश को अपनी फिल्म की कहानी सुनाते हैं। ‘जाने भी दो यारों’ के ओमपुरी हों या गोलमाल के राम प्रसाद-लक्ष्मण प्रसाद।
जरा याद कीजिए ‘पड़ोसन’ फिल्म का वह सीन जिसमें गुरु उर्फ किशोर कुमार सुनील दत्त को गाना सिखाने की कोशिश करते हैं। या ‘प्यार किए जा’ का वह क्लासिकल सीन जिसमें महमूद ओमप्रकाश को अपनी फिल्म की कहानी सुनाते हैं। ‘जाने भी दो यारों’ के ओमपुरी हों या गोलमाल के राम प्रसाद-लक्ष्मण प्रसाद।
इन बातों को पढ़ते-पढ़ते ही आपके चेहरे पर हंसी खिल आई होंगी। कॉमेडी फिल्मों की तासीर ही कुछ ऐसी होती है। भारतीय सिनेमा के सौ साल के इतिहास में एक से बढ़कर एक फिल्में बनीं। एक्शन, रोमांस, हॉरर और कॉमेडी। लोग कभी सेल्युलॉयड के प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाए। पीढ़ी दर पीढ़ी इसका नशा चढ़ता गया। हमने दस सबसे बेहतरीन कॉमेडी फिल्में चुनी हैं।
इनकी खासियत यह है कि सभी फिल्म अपने जमाने में ट्रेंडसेटर रहीं
1. अंदाज अपना-अपना (1994) : स्टारकास्ट:सलमान खान, आमिर खान, रवीना टंडन,करिश्मा कपूर। कई बार देखने पर भी यह फिल्म बोर नहीं करती। आमिर-सलमान की कैमेस्ट्री खूब जमी। इस फिल्म में आमिर के अंदर का हास्य अभिनेता उभरकर सामने आया। विनय सिन्हा ने 1994 में सलमान और आमिर को लेकर ‘अंदाज अपना अपना’ का निर्माण किया था। इसके निर्देशक थे राजकुमार संतोषी। इस फिल्म को ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘पड़ोसन’जैसी हास्य फिल्मों की तर्ज पर खास स्थान प्राप्त है।
2. अंगूर:(1982)। स्टार कास्ट:संजीव कुमार, देवेन वर्मा, मौसमी चटर्जी और अरुणा ईरानी। कहानी: अंगूर ऐसी फिल्म है जिसे देखकर हास्य स्वयं ही दर्शक के अंदर उमड़ने लगता है। गुलज़ार साब ने निर्देशक के तौर पर केवल एक ही ऐसी फिल्म बनायी है जिसे पूर्ण रूप से कॉमेडी फिल्म कहा जा सकता है। फिल्म दो जुड़वां लोगों की कहानी है जो जन्म लेते ही बिछुड़ गए थे और लंबे समय के बाद जब दोनों मिलते हैं तो बेहद हास्यास्पद परिस्थितियां बनती हैं।
3. चमेली की शादी(1986)। स्टार कास्ट:अनिल कपूर,अमृता सिंह,अमजद खान,पंकज कपूर। 'चमेली की शादी' बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म है| फिल्म के मुख्य कलाकार अनिल कपूर,अमृता सिंह, अमजद खान और पंकज कपूर हैं| चरणदास अपने बड़े भाई भजनदास और भाभी के साथ एक छोटे नगर में रहता है| वह बेरोजगार है और खुद को उस्ताद मस्तराम पहलवान के साथ कुश्तीबाज मानता है। पहलवान से चरणदास ने वादा किया है कि वह चालीस साल की उम्र तक कुंवारा रहेगा, लेकिन जब चरणदास की मुलाकात स्कूल की एक छात्रा चमेली से होती है तो वह उसे चाहने लगता है| दोनों एक दूसरे को बेहद पसंद करने लगते हैं, साथ घूमने जाते हैं, प्रेम पत्र लिखते हैं और शादी करने का फैसला करते हैं| लेकिन चमेली के माता-पिता चमेली की शादी वकील माखन से करना चाहते हैं जो उन्ही की जाति का है| परिस्तिथियां बिगड़ने लगती हैं और अब चरणदास को फैसला करना है कि वह पूरी उम्र मजनूं बन कर जीना चाहता है या पृथ्वीराज चौहान बन कर अपनी चमेली को भगा ले जाता है| फिल्म में सीन इतने रोचक तरीके से फिल्माए गए हैं कि दर्शक हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाते हैं|
4. चश्मे-बद्दूर(1981)। स्टार कास्ट:फारुख शेख, राकेश बेदी, रवि बासवानी और दीप्ति नवल। 'चश्मे-बद्दूर' सई परांजपे निर्देशित शानदार रोमांटिक कामेडी फिल्म है जिसकी कहानी दिल्ली विश्वविद्यालय के तीन छात्र सिद्धार्थ (फारुख शेख), ओमी (राकेश बेदी) और जय (रवि वासवानी ) के इर्द गिर्द घूमती है। गर्मी की छुट्टियों के दौरान इनके जीवन में एक लडकी नेहा (दीप्ति नवल) दाखिल होती हैं। तीनों उसे पाना चाहते हैं और इसी जद्दोजहद में ऐसे दिलचस्प कॉमेडी सीन्स उभरकर सामने आते हैं कि आप इस फिल्म को जितनी बार देख लें बोर नहीं होंगे|
5. चुपके-चुपके(1975)। स्टार कास्ट:धर्मेन्द्र, ओम प्रकाश, अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर और जया बच्चन। ऋषिकेश मुखर्जी की 'चुपके-चुपके' (1975) हिन्दी सिनेमा की श्रेष्ठतम कॉमेडी फिल्मों की सूची में शामिल है। मजेदार कहानी, चुस्त पटकथा, बेहतरीन संवाद और उम्दा अभिनय। इस सबके साथ ऋषिकेश मुखर्जी का सटीक निर्देशन। 'चुपके-चुपके' की जान थे धर्मेंद्र और ओमप्रकाश। प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी (धर्मेंद्र) इस बात से परेशान है कि उसकी नई-नवेली बीवी सुलेखा (शर्मिला) अपने जीजाजी (ओमप्रकाश) को दुनिया का सबसे चतुर इंसान समझती है और दावा करती है कि जीजाजी को कोई बुद्धू नहीं बना सकता। परिमल जीजाजी को बुद्धू बनाने का बीड़ा उठाता है और पहुंच जाता है उनके यहां ड्राइवर प्यारेमोहन बनकर। जीजाजी ने न तो दामाद साहब को देखा है और न ही उनकी तस्वीर, सो वे आ जाते हैं झांसे में। आगे कई ऐसे मोड़ आते हैं जिसे देख कर आप हंसते-हंसते लोट-पोट हुए बिना नहीं रह सकते।
6. ‘गोलमाल(1979)। स्टार कास्ट:अमोल पालेकर, बिंदिया गोस्वामी, उत्पल दत्त, डेविड, दीना पाठक और शुभा खोटे। इस फिल्म में अमोल पालेकर ने जुड़वां भाइयों वाला डबल रोल किया था। वहीं, फिल्म में सुंदर और प्यारी सी हीरोइन बिंदिया गोस्वामी की मासूमियत भरी अदाएं थीं तो हीरोइन के पिता के रूप में उत्पल दत्त थे जो एक गर्ममिजाज शख्स थे। आपको बता दें कि फिल्म की कहानी बिल्कुल साधारण सी थी। मगर इसे प्रस्तुत करने के अंदाज की बदौलत ही यह फिल्म आज भी लोकप्रिय है। वैसे भी, इसके लिए निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी को सारा श्रेय जाता है।
7. हाफ टिकट (1962)। स्टार कास्ट: किशोर कुमार और मधुबाला। किशोर कुमार और मधुबाला की यह फिल्म 1962 में बनी थी। इसे किशोर कुमार की बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों में शुमार किया जाता है। इसमें विजय (किशोर कुमार) नामक युवक की कहानी है, जो नियमित जिंदगी नहीं जी सकता। उसके फितूरों से परेशान होकर पिता उसे घर से निकाल देते हैं। उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह मुंबई का टिकट भी खरीद सके। वह हाफ टिकट लेता है और बारह साल के मोटे-तगड़े लड़के का वस्त्र धारण करता है। वह ऐसा नाटक करता है मानों वह कोई बच्चा है। सफर शुरू होने के समय ही एक बदमाश किस्म का व्यक्ति (प्राण) विजय का चाचा बन जाता है और उसकी जेब में दो लाख का हीरा डाल देता है। ऐसा वह पुलिस के डर से करता है। बाद में हीरा वापस लेने के लिए वह बदमाश विजय के पीछे पड़ता है। विजय की मुलाकात अचानक रजनी से होती है। वह रजनी (मधुबाला) से प्रेम करने लगता है। बाद में पता चलता है कि जिस लड़की के पिता को विजय ने भगा दिया था, आशा वही लड़की है। इस तरह हंसी-मजाक में फिल्म खत्म होती है। किशोर कुमार की बहुमुखी प्रतिभा इस फिल्म में दिखाई पड़ती है।
8. हेरा फेरी (2000)। स्टार कास्ट:अक्षय कुमार, परेश रावल, सुनील शेट्टी, तब्बू, ओम पुरी, असरानी और मुकेश खन्ना। हास्य के दौर में गंभीर फिल्मों के लिए जाने जाने वाले प्रियदर्शन ने भी दर्शकों को एक हास्य फिल्म दी है। एक ऐसी फिल्म जो रोते को भी हंसने पर मजबूर कर देगी | फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है जो राजू(अक्षय कुमार), श्याम(सुनील शेट्टी), बाबूराव(परेश रावल) और अनु(तब्बू) के इर्द गिर्द घूमती रहती है | चारों ऊपर से नीचे तक कर्ज़े मे डूबे हुए हैं और जिंदगी बसर करने के लिए उन्हें पैसों की सख़्त ज़रूरत है | श्याम और राजू बाबू राव के घर पर किराएदार हैं| फिल्म की कहानी सिर्फ़ एक ग़लत फोन कॉल पर टिकी है | पर प्रियदर्शन का निर्देशन दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखने मे न सिर्फ़ सफल होता है, बल्कि उन्हें 3 घंटे तक गुदगुदाता भी है।
9. जाने भी दो यारों(1983)। स्टार कास्ट: नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी, पंकज कपूर और सतीश शाह। कहानी: यह कहानी है दो भले फोटोग्राफरों विनोद और सुधीर (नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी) की है, जिन्हें 'खबरदार' की संपादक शोभा (भक्ति बर्वे) खास काम सौंपती है। उन्हें बिल्डर तरनेजा (पंकज कपूर) और भ्रष्ट म्यूनिसिपल कमिश्नर डिमेलो (सतीश शाह) की मिलीभगत का भंडाफोड़ करना है। एक दिन अनजाने में विनोद और सुधीर ऐसा फोटो खींच लाते हैं जिसमें तरनेजा एक आदमी का खून करते हुए नजर आ रहा है। खोजबीन करने पर पता चलता है कि खून डिमेलो का हुआ है। वे डिमेलो की लाश ताबूत समेत ढूंढ निकालते हैं, लेकिन यह लाश जैसे एक जगह न टिकने की कसम खाकर कब्र से बाहर आई है। वह बार-बार विनोद-सुधीर के हाथ से निकल जाती है और बार-बार वे उसे फिर से हथिया लेते हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स तो दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देता है जिसमें विनोद व सुधीर लाश को स्केट्स पर चला कर, बुर्के में ढंक कर एक सभागार में ले आते हैं, जहां 'महाभारत' का मंचन चल रहा है। पीछे-पीछे तमाम अन्य पात्र भी चले आते हैं। सबको लाश पर कब्जा करना है और लाश इधर-उधर होती हुई चीरहरण के लिए लाई गई द्रौपदी बन मंच पर जा पहुंचती है!
10. पड़ोसन (1968)। स्टार कास्ट:सुनील दत्त, किशोर कुमार, सायरा बानो और महमूद। कहानी: इस फिल्म को बॉलीवुड की श्रेष्ठ कॉमेडी फिल्मों में शुमार किया जाता है| फिल्म की कहानी शादी करने को उतावले भोला (सुनील दत्त) के इर्द गिर्द घूमती है| उसका दिल चुरा बैठी है उसकी पड़ोसन बिंदु (सायरा बानो)। बिंदु पर उसका म्यूजिक टीचर पिल्लई (मेहमूद) भी फिदा है| इनके साथ ही फिल्म में एक और किरदार है विद्यापति उर्फ गुरु का जिसे किशोर कुमार ने जीवंत किया| बिंदु को पटाने में यह भोला की मदद करता है और इसी दौरान कई दिलचस्प कॉमेडी सीन्स आपको हंसने पर मजबूर कर देते हैं|
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